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जूठन ....

................... जूठन ...................

छोटी गीत गाए,मम्मी को जाके  सुनाए उतरन क्यों  पहनाए रे,
मम्मी प्यारी मम्मी रे।

कपड़े नये सिला दे, मुझको भी हंसा दे,मैं हूं तेरी प्यारी लाडो रे,
पुस्तक नयी मंगा दे, मोबाइल नया दिला दें, मन नहिं लगता रे,
मम्मी प्यारी मम्मी रे।

बड़की है तेरी बेटी, उतरन सब मुझको देती, अब ना पहनूंगी मै रे,
फटी पुस्तकें देती, मैं संवार उनको लेती ,तेरी छोटी बेटी रे
मम्मी प्यारी मम्मी रे।

गर्म कपड़े भी पुराने,सबके हैं पहचाने , लाज मोहे लागे रे,
नये नये कपड़े मंगा दे या फ़िर दर्जी से सिला दे,मैं ना पहनूंगी उतरन रे।
मम्मी प्यारी मम्मी रे।

हर उत्सव शादी मे बड़की जाती,मै तो घर पर ही रह जाती,नित नित नीर बहाऊं रे,
मम्मी मै क्यों बनी पराई, हूं तो मैं तेरी ही जाई,क्यों फ़िर मुझे सताए रे,

मम्मी प्यारी मम्मी रे।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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3 Comments

Gunjan Kamal

13-Feb-2023 11:29 AM

शानदार प्रस्तुति 👌

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शानदार

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अदिति झा

07-Feb-2023 11:39 PM

Nice 👍🏼

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